मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है? इस लेख में हम आपको बताएँगे की मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है –
मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्वमकर संक्रान्ति के अवसर पर भारत के विभिन्न भागों में, और विशेषकर गुजरात में, पतंग उड़ाने की प्रथा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?: एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्ण पर्व
मकर संक्रान्ति, भारत और नेपाल के प्रमुख पर्वों में से एक है जो पौष मास के महीने में मनाया जाता है। इस पर्व का आयोजन उस दिन होता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिससे इसे ‘मकर संक्रान्ति’ कहा जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे पृथ्वी के उत्तर और दक्षिण की ओर चलने के दौरान होने वाले सूर्य के विस्तार की प्रक्रिया के रूप में भी देखा जा सकता है।
मकर संक्रान्ति का महत्व:
मकर संक्रान्ति को भारतवर्ष भर में विभिन्न नामों और रूपों में मनाया जाता है, जैसे छत्तीसगढ़, गोवा, ओड़ीसा, तमिलनाडु, गुजरात, उत्तर प्रदेश, और नेपाल में इसे ‘मकर संक्रान्ति’ कहा जाता है।
रिवाज और उत्साह:
यह पर्व भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है और विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। तिलगुड़ खाने की परंपरा इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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विभिन्न नाम:
- छत्तीसगढ़, गोवा, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गुजरात, और जम्मू में ‘मकर संक्रान्ति’ कहा जाता है।
- ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल: तमिलनाडु
- उत्तरायण: गुजरात, उत्तराखण्ड
- उत्तरैन[1], माघी संगरांद: जम्मू
- शिशुर सेंक्रात: कश्मीर घाटी
- माघी: हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब
- भोगाली बिहु: असम
- खिचड़ी: उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार
- पौष संक्रान्ति: पश्चिम बंगाल
विशेष संस्कृति और रीति-रिवाज:
यह पर्व भारतीय संस्कृति में गहरा स्थान रखता है और इसे विभिन्न रूपों में भी मनाया जाता है जैसे बांग्लादेश, नेपाल, थाईलैण्ड, लाओस, म्यांमार, कम्बोडिया, और श्रीलंका में।
मकर संक्रान्ति: भारतीय पर्वों का एक अनूठा रूप
मकर संक्रान्ति, भारतीय पर्वों में से एक है जो आनंद और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न नामों और रूपों में मनाया जाता है, जो इसे और भी रोचक बनाता है।
भोजनम् और आस्वादन:
मकर संक्रान्ति के अवसर पर आंध्र प्रदेश और तेलंगण राज्यों में विशेष ‘भोजनम्’ का आस्वादन किया जाता है, जिससे लोग इस पर्व को और भी मिठास भरते हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
मैसूरु में एकगाय को मकर संक्रान्ति के दिन अलंकृत किया जाता है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है।
विभिन्न रूपों मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?
पूरे भारत में मकर संक्रान्ति विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, और इसमें विभिन्न प्रांतों की रिच और विविधता दिखाई देती है। यह पर्व अन्य किसी भी पर्व की तुलना में अधिक प्रचलित है और लोग इसे बहुत उत्साहपूर्ण रूप से मनाते हैं।
विभिन्न नामों से जाना जाता है:
- जम्मू में ‘उत्रैण’, ‘माघी संगरांद’, ‘अत्रैणी’ या खिचड़ी वाला पर्व के नाम से जाना जाता है।
- उत्तर प्रदेश में इसे ‘दान का पर्व’ कहा जाता है और प्रयागराज में माघ मेला लगता है, जिसे ‘माघ मेले’ के नाम से भी जाना जाता है।
धार्मिकता और सामाजिक एकता:
इस दिन धार्मिक तौर पर स्नान के साथ-साथ, लोग दान-पुण्य का भी आदान-प्रदान करते हैं, जिससे सामाजिक एकता और उत्साह बना रहता है।
मकर संक्रान्त
ि एक पूर्णता और आत्म-उन्नति का संकेत है, जो भारतीय समाज में गहरा महत्व रखता है।
मकर संक्रान्ति का महत्व
इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ठ होता
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है? पंचांग पद्धति
मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। सामान्यत: भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियाँ चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है। हमारे पवित्र वेद, भागवत गीता जी तथा पूर्ण परमात्मा का संविधान यह कहता है कि यदि हम पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर एक पूर्ण परमात्मा की भक्ति करें तो वह इस धरती को स्वर्ग बना देगा और आप जी की और इच्छा को पूरा करें.
मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवानभास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। । मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।
मकर संक्रान्ति और नये पैमाने
अन्य त्योहारों की तरह लोग अब इस त्यौहार पर भी छोटे-छोटे मोबाइल-सन्देश एक दूसरे को भेजते हैं। इसके अलावा सुन्दर व आकर्षक बधाई-कार्ड भेजकर इस परम्परागत पर्व को और अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
निष्कर्ष
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