
ऐक्टर:अलीजेह अग्निहोत्री,प्रसन्न बिष्ट,जियान शॉ,साहिल मेहता,रोनित रॉय,जूही बब्बर,शिल्पा शुक्लाडायरेक्टर : सौमेंद्र पाधीश्रेणी:Hindi, थ्रिलर, ड्रामाअवधि:1 Hrs 54 Min
Farrey movie budget आमतौर पर जब बॉलिवुड में किसी स्टार किड को लॉन्च किया जाता है तो लॉन्च पैड के रूप में ऐसी फिल्म बनाई जाती है, जिसमें रोमांस, नाच-गाना, एक्शन से लेकर ग्लैमर तक आजमाए हुए कई मसाले परोसे जाते हैं। सलमान खान की भांजी अलीजेह अग्निहोत्री की डेब्यू फिल्म ‘फर्रे’ को लेकर भी यही अपेक्षा की जा रही थी कि ये डेब्युटेंट एक्ट्रेस की ऐसी ही कोई शो रील साबित होगी, मगर फिल्म की शुरुआत के बाद मध्यांतर आते-आते और फिर अंत तक पहुंचते-पहुंचते यह बात साबित हो जाती है कि इसमें डेब्यू करने वाली एक्ट्रेस की प्रतिभा को अन्य टैलेंटेड नवोदित कलाकारों के साथ पिरो कर एक थ्रिलर कहानी के रूप में इस ढंग से परोसा गया है कि आप अपने सारे पूर्वाग्रह भूलकर ‘फर्रे’ की दुनिया का हिस्सा बन जाते हैं। अलीजेह की उम्दा अदाकारी आपको प्रभावित किए बिना नहीं रहती।
Farrey movie budget- Movie Story
कहानी की शुरुआत बेहद जीनियस और जुगाड़ू नियति (अलीजेह अग्निहोत्री) से होती है, जो वॉर्डन (रोनित रॉय) और जोया (जूही बब्बर) के अनाथालय में दूसरे कई अनाथ बच्चों के साथ रहती हैं। पढ़ने-लिखने में कंप्यूटर-सा दिमाग रखने वाली नियति को स्कूल में टॉप करने के बाद दिल्ली के ऐसे मंहगे और हाई-फाई स्कूल में दाखिला मिलता है, जहां अमीरों की रईसी का बोलबाला है। नियति स्कूल के इस नए सेटअप पर मंत्रमुग्ध है। स्कूल के पहले ही दिन संजोग कुछ ऐसा बनता है कि नियति को फिजिक्स का एक सवाल हल करने के लिए अपनी क्लासमेट छवि (प्रसन्न बिष्ट) की मदद करनी पड़ती है। इस पहल के बाद नियति प्रतीक (जैन शॉ) और छवि जैसे अमीरजादों के ग्रुप में शामिल हो जाती है। नियति के साथ ही स्कूल में एक अन्य गरीब टॉपर आकाश (साहिल मेहता) का भी एडमिशन होता है, मगर उसे यह ग्रुप उपेक्षित कर देता है। नियति जितनी जीनियस है और संवेदनशील है, उतनी ही चंट भी है। उसके अनाथालय की माली हालत खस्ता है। 18 साल की होने पर उसे इस अनाथालय से दूसरे अनाथालय में भेज दिया जाएगा। यही वजह है कि जब उसके अमीर दोस्त उसे पैसों और डोनेशन का लालच देकर फर्रे (नकल करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चिट) पास कराने की पेशकश करते हैं, तो वो खुद को रोक नहीं पाती। इस चक्रव्यूह में आकाश को भी फंसा दिया जाता है। चीटिंग और नकल करने के नए-नए तरीके ईजाद करके नियति पैसों की लालसा में अपने दोस्तों के लिए एक इंटरनैशनल एग्जाम देने आकाश के साथ ऑस्ट्रेलिया तक पहुंच जाती है। उस वक्त नियति को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं होता कि अमीर दोस्तों को चीटिंग करके अच्छे मार्क्स दिलाने के बदले मिलने वाले पैसों के लालच का सिलसिला उसके लिए एक ऐसी दलदल साबित होने वाली है, जिसके लिए उसे बहुत कुछ दांव पर लगाना पड़ेगा? क्या नियति इस इंटरनैशनल चीटिंग में कामयाब होगी? पैसों का लालच उसे किस राह पर ले जाएगा? क्या वो सही और गलत के बीच फैसला कर पाएगी? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी?
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Farrey movie budget ‘फर्रे’ में मुकेश छाबड़ा की दमदार कास्टिंग
‘जामताड़ा’ फेम सौमेंद्र पाधी की ये फिल्म कोरियन मूवी बैड जीनियस से प्रेरित है और इसमें आपको कुछ वास्तविक घटनाओं के अंश भी प्रतीत होंगे, मगर सौमेंद्र ने स्कूल बच्चों की नकलबाजी की कहानी को जिस थ्रिलर अंदाज में परोसा है, उसकी तारीफ करनी होगी। उन्होंने फिल्म में कोई शोशेबाजी नहीं की। मध्यांतर तक आते-आते आप बेचैनी से भर जाते हैं कि आगे क्या होगा? फिल्म में सौमेंद्र एक नई-नवेली युवा पीढ़ी के कलाकारों के जरिए चीटिंग के मजेदार नुस्खों के साथ-साथ अमीर-गरीब के भेद से आपके दिल को छूते हैं। निर्देशक ने फिल्म में प्यार-रोमांस के फॉर्मूलों को जबरदस्ती नहीं ठूंसा है। सेकंड हाफ में जाकर फिल्म का रोमांच और बढ़ जाता है। फिल्म का क्लाइमैक्स सुखद है, मगर जल्दबाजी में खत्म किया हुआ लगता है। फिल्म में नकल करने की तकनीक में सिनेमैटिक लिबर्टी ली गई है। किरदारों से जुड़े कई सवाल अनुत्तरित रह जाते हैं। सचिन-जिगर के संगीत में फर्रे का टाइटल ट्रैक और घर पे पार्टी है जैसे गाने ठीक-ठाक बन पड़े हैं। जुबिन शेख की एडिटिंग में दम है। केइको नकाहारा की सिनेमैटोग्राफी मजबूत है। मुकेश छाबड़ा की दमदार कास्टिंग और अभिनेशक यादव और सौमेंद्र पाधी के लेखन में चरित्र मानवीय बन पड़े हैं।
Farrey movie budget ‘फर्रे’ में अलीजेह ने अपनी एक्टिंग का चलाया जादू
अभिनय के मामले में अलीजेह के बारे में कहना होगा कि ये नया चेहरा अपने टॉपर किरदार की तरह एक्टिंग में भी टॉप कर गया है। लगता ही नहीं कि ये उनकी पहली फिल्म है। संवाद अदायगी हो या उनका स्कूली लुक, वे आत्मविश्वास से भरपूर नजर आती हैं। उनके बारे में ये कहना गलत न होगा कि पूत के पांव पालने में नजर आ गए हैं। अलीजेह को छवि के रूप में प्रसन्न बिष्ट, आकाश के रूप में साहिल मेहता और प्रतीक के रोल में जियान शॉ का मजबूत साथ मिला है। इन तीनों न्यू फेसेज ने फिल्म के चारों छोर को संभाले रखा है। इनके किरदार कहानी को परतदार बनाते हैं। गरीब और लाचार आकाश जब बदले की भावना में उग्र हो जाता है, तो वो सीन देखने लायक बनता है। वॉर्डन के चरित्र में रोनित रॉय और जोया की भूमिका में जूही बब्बर ने प्यारा अभिनय किया है। शिल्पा शुक्ला छोटी-सी भूमिका में याद रह जाती हैं।
क्यों देखें: थ्रिलर कहानी और नए युवा चेहरों की अदाकारी के लिए यह फिल्म देखी जा सकती है।